प्रतिक्षा शायरी। || WAITING SHAYARI.

 

         WAITING SHAYARI





हैलो मित्रों,


             आइए पढ़ते हैं कुछ प्रतिक्षा शायरी।


चलिए, शुरू करते हैं!






"यादें तेरी रख दी है सँभालकर 
दूर कहीं इस दिल से निकाल कर 
सब कुछ तो वापिस ले लिया है तुमने दूर जाकर 
इन यादों को भी ले जाना किसी रोज़ आ कर"







"उसकी जरूरत उसका इंतजार और अकेलापन. थक कर मुस्कुरा देता हूँ, मैं जब रो नहीं पाता."




"रूठी हुई आँखों में इंतज़ार होता है ;
न चाहते हुए भी प्यार होता है ;
क्यों देखते हैं हम वो सपने ;
जिनके टूटने पर भी उनके सच होने का इंतज़ार होता है !"







"नहीं करता इज़हारे-ऐ-इश्क़ वो 
पर रहता है मेरे करीब है वो 
देखूँ उसकी आँखों में तो शर्मा जाता है वो 
हाय मेरा यार भी कितना कमाल है"






"फासलों ने दिल की क़ुर्बत को बढ़ा दिया 
आज उस की याद ने बे हिसाब रुला दिया 
उस को शिकायत है के मुझे उस की याद नहीं 
हम ने जिस की याद में खुद को भुला दिया"






"मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो,
इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।








"हर आहट पर साँसें लेने लगता है,
इंतज़ार भी भला कभी मरता है।"






"हमने तो उस शहर में भी किया है इंतज़ार तेरा, जहाँ मोहब्बत का कोई रिवाज़ न था..





"किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी,
इंतज़ार तेरा...मुझे पूरा मरने भी नहीं देता।"







"

रात भर जागते रहने का सिला है शायद,

तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है। 😭 💔 😢 "









"उसकी जरूरत उसका इंतजार और अकेलापन. थक कर मुस्कुरा देता हूँ, मैं जब रो नहीं पाता."







"

आपसे दूर रेहके भी आपको याद किया हमने,
रिश्तों का हर फ़र्ज़ अदा किया हमने,
मत सोचना की आपको भुला दिया हमने,
आज फिर सोने से पहले आपको याद किया हमने. 😭 💔 😢 "




"तेरा इंतज़ार तेरी जुस्तजू 
यह ही करते है , इसी की तमना है 
हम से पूछिये इंतज़ार की स्याह -रात 
जब वो गए थे फिर न लौट आने के लिए"





"दिल की आवाज़ को इज़हार-ऐ-इश्क़ कहते हैं 
झुकी निगाहों को इक़रार-ऐ-इश्क़ कहते हैं 
सिर्फ ज़ुबान से कहना ही इज़हार-ऐ-मोहब्बत नहीं होता 
दबे होंटों की मुस्कराहट को भी इक़रार-ऐ-इश्क़ कहते हैं"










"इतना ऐतबार तो अपनी धड़कनों पर भी हमने न किया ;
जितना आपकी बातों पर करते हैं ;
इतना इंतज़ार तो अपनी साँसों का भी न किया ;
जितना आपके मिलने का करते हैं !"






"यकीन ही उठ गया, इस राह को अब तो छोड़ दे ग़ालिब. मगर …इश्क में रिवाज हो गया कि , इन्तजार कयामत तक होता है ….."







"कहीं वो आ के मिटा दें न इंतज़ार का लुत्फ़, 
कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी।"





"हाथ कि लकीरों पर ऐतबार कर लेना,
भरोसा हो तो किसी से प्यार कर लेना,
खोना पाना तो नसीबों का खेल है,
ख़ुशी मिलेगी बस थोड़ा इंतज़ार कर लेना।"






"यादों का इक झोंका आया हम से मिलने बरसों बाद 
पहले इतना रोये न थे जितना रोये बरसों बाद 
लम्हा लम्हा उजड़ा तो ही हम को एहसास हुआ 
पत्थर आये बरसों पहले शीशे टूटे बरसों बाद"










"इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा
यादें कटती हैं ले-ले कर नाम तेरा
मुद्दत से बैठे हैं ये आस पाले कि
आज आयेगा कोई पैगाम तेरा"











"भूल के कुछ यादें तेरी

दिल को तेरा सुकूँ दे वो ग़ज़ल कहाँ से लाऊँ 
भूल के ग़ज़ल अपनी तेरी ग़ज़ल कैसे सजाऊँ 
दिल में उतार जाएं वो लफ़ज़ कहाँ से लाऊँ 
भूल के कुछ यादें तेरी, याद कैसे दिल में बसाऊँ

"










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