हैलो मित्रों,
आइए पढ़ते हैं कुछ राजनीति शायरी।जैसा कि हम सभी शायरी के विभिन्न प्रकारों जैसे कि प्यार, बेवफा, जन्मदिन और अन्य को पढ़ते हैं।
लेकिन आज हम कुछ राजनीति शायरी पढ़ेंगे।
चलिए, शुरू करते हैं!
🍀🌻😓😥😰😢😭😪🍀🌻
वोटों के खातिर निकले हैं ,
कुछ सौदागर लेके बण्डल नोटों के ,………….
बिकती है हर चीज यहाँ ,
खरीदार है यहाँ कुछ नेता वोटों के ,………….
भ्रष्टाचार को भ्रष्टाचार के नाम से ही बेच रहे है ,
काले धन के है ये वेपारी वोटों के। ………….
गरीबी वो क्या मिटायेंगे ? मिटाकर गरीबों को ,
जमीन भी बेच खायी , ये सौदागर हैं वोटों के……………..
वोटों के खातिर निकले हैं ,
कुछ सौदागर लेके बण्डल नोटों के ,………….
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सियासत की रंगत में ना डूबो इतना,
कि वीरों की शहादत भी नजर ना आए,
जरा सा याद कर लो अपने वायदे जुबान को,
गर तुम्हे अपनी जुबां का कहा याद आए.
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कितने ही वादे करवालो, नेताओं का क्या जाने वाला
अभी जैसा चाहो उन्हें नचाओ, उनका क्या जाने वाला
कुछ दिन और बचे हैं जितनी चाहो खुशी मनालो
फिर तो रोना ही रोना है ईश्वर भी नहीं बचाने वाला
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आज कल हर जगह वोटों के भिखारी निकल पड़े हैं
कुटिल राजनीति के मझे हुए खिलाडी निकल पड़े हैं
गलतियों का दोष औरों पर मढने का जो चलन है
उसे निभाने के लिये बहुत से अनाड़ी निकल पड़े हैं
जनता को वो झूंठे वादे अब फिर से मिलने वाले हैं
हम जनता के सेवक हैं झांसे फिर से मिलने वाले हैं
दुनिया की सारी सुख सुबिधायें अब जनता की हैं
सावधान जनता अब वोटों के भिक्षुक मिलने वाले हैं
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इंडिया की राजनीति में मचा हुआ घमासान है
लोक सभा की सीट ही जैसे हर नेता का अरमान है
टिकेट पाने होड़ में रिश्ते नाते भूल रह्रे है
पुरानी पार्टी छोड़ कर नए गठबंधन जोड़ रहे हैं
महाराष्ट्र हो या बिहार हर रिश्ते पड़ी दरार
वोट पाने की चाह में कर रहे एक दूजे पर वार
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वो मौतों का खेल खेलते हैं बस राजनीति चमकाने को
वो जनता को गोट समझते हैं अपनी शतरंज बिछाने को
वो क्या जाने जनता की पीढ़ा,
जो जनता को केवल मोहरा समझें, जो होते हैं पिटवाने को
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क्या खोया, क्या पाया जग में,
मिलते और बिछुड़ते मग में,
मुझे किसी से नही शिकायत
यद्यपि छला गया पग-पग में.
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