मुम्बई शहर को कैसे बनाया गया।
आज हम जानेंगे कि मुंबई सिटी को भारतीय और कुछ विदेशी लोगों द्वारा 1687 में बनाया गया था।
चलिए, शुरू करते हैं! :-
पहले मुंबई ऐसा नहीं था हम अभी देख रहे हैं,
पहले मुंबई बहुत सारे छोटे-छोटे टापुओं में बंटा हुआ था। जिनके बीच बहुत ही दुरियां थीं।
जो अब सब मिलकर एक मुम्बई के रूप में जाने जाते हैं।
उन सभी टापुओं का इमेज आपको इस ब्लोग में मिल जाएगा।
आधुनिक युग में मुंबई शहर भारत का सबसे बड़ा शहर है। मुंबई भारत का प्रसिद्ध और लोकप्रिय शहर है। मुंबई का कुल क्षेत्रफल 603 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 2 करोड़ ज्यादा आबादी आज भी रहती है।
मुझे लगता है कि आप नहीं जानते कि मुंबई शहर कैसे बना था।
आज मैं इस पर विस्तृत जानकारी दूंगा: -
मुंबई शहर के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु: -
इस शहर को स्थापित करने के लिए न केवल भारतीय बल्कि विदेशी भी मददगार थे।
आज जो मुम्बई है पहले वह छोटे-छोटे टापुओं में बंटा हुआ था।
इस शहर को बनाने वाला का उसकी नौकरी भी चली गई थी। जो आपको मैं निचे बताउंगा।
आज जो मुम्बई है पहले वह सात छोटे-छोटे टापुओं में बंटा हुआ था।
आप निचे दिए गए इमेज में देख सकते हैं जो उजले-उजले टापुओं में रुप में नजर आ रही है, जिनके बीच में बहुत ही दुरियां थीं जो अब सब मिलकर एक मुम्बई शहर के रूप में जाना जाता हैं।
यह बात आज के नहीं है कि ब्रिज बनाया जाता हैं यह पहले भी बहुत ही प्रचलित थी।
इससे जुड़ी जानकारी है कि इसका एक प्रमाण है जो कि लिखित है वो भी 2300 साल पहले का, जिस समय इसे HAPTENSIA नाम से जाना जाता था।
फिर Third Century में इसे यह मौर्य साम्राज्य का हिस्सा बन गया, उस समय अशोक का शासन था। जिसके बाद इसका नियंत्रण satvahan empire के पास चला गया। फिर बाद में हिन्दु सिलहारा का शासक 1343 तक राज किया। फिर गुजरात के शासक बहादुर शाह ने कब्ज़ा कर लिया। फिर उसके बाद इरोपियन लोगों ने कब्ज़ा कर लिया। जिसके बाद इसमें बदलाव आना शुरू हो गया।
फिर साल 1534 को यूरोपीयन ने treaty bassein signed पर हिमायून और बहादुर शाह से साइन करवा लिया।
और उसके बाद इरोपियन लोगों ने सातो टापुओं पर कब्जा कर लिया।
अब पुर्तगालियों के हाथ में जाने के बाद इसकी सातों टापुओं का फिर नक्शा बदलने लगा।
इनका आगमन मुंबई शहर में बहुत ही एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अब चलते हैं थोड़ा सा इन टापुओं के बारे में बात करते हैं।
ऊपर दिए गए चित्र में देख सकते हैं कि निम्न आइलैंड हैं:-
1. Colaba
2. Little Colaba
3. Bombay
4. Mozagaon
5. PAREL
6. Worli
7. Mahim
आप ऊपर दिए हूए चित्र में सबसे नीचे आप देख सकते हैं कि वह हैं कोलाबा आइलैंड का हैं।
कोली मछुआरों को को वहां पर कहा जाता हैं।
यह समुदाय अपना भरण-पोषण वह अपने मछलियों को बेचकर करते हैं।
इसके बाद हैं लिटिल कोलाबा जो कि सबसे उत्तर में था जिसे पहले AL-OMANI भी कहा जाता क्योंकि यहा पर पहले लोग अपने मछलियों के तलाश में ओमान जाया करते थे।
इसके बाद हैं बम्बई जो कि सबसे पुराना टापुओं में से एक हैं जिसका जिक्र मौर्य साम्राज्य में किया गया हैं, जो कि आज के समय में डोन्कार्ज से लेकर मालाबार तट फ़ैला हुआ है।
इसके बाद हैं मजगांव है जिसमें मुंबई के ज्यादा हिस्सा मजगांव का हि हैं।
इस टापु को मछली पकड़ने का गांव के नाम से जाना जाता था। इस टापु पर तीन सौ साल पहले मुंबई यहां पर जन्म लें चुका था।
इसके बाद हैं वार्ली जहां पर हाजी अली का दरगाह हैं। जब कि यह शहर बहुत ही बाद में जोड़ना हुआ लगभग साल 1784 में।
इसके बाद आता है पारेल इतिहासकार बताते हैं कि यह टापु 17 century में राजा भीमदेव के पास था। जिसके बाद पुर्तागलियो ने इस पर कब्जा कर लिया, यह चर्चा में तब आया जब इसे साल 1770 में गवर्नर विलियम हर्नबि ने अपनी रिहाई सिमा बनाई।
इसके बाद आखिरी टापु का नाम माहिम हैं, जिसे पहले मजिम और मुजाम्बू के नाम से जाना जाता था। यह तेरहवीं शताब्दी में राजा भीमदेव सिंह के राजधानी थी। जिसके बाद इसका प्रसिद्ध हि हुई। बाद में इसे मुस्लिम शासकों ने कब्ज़ा करके लिया और उसके बाद यह पुर्तगालियों के हाथ लग गया, जिन्होंने इसे अंग्रजों को सौंप दिया था।
आप अब जानकर आश्चर्य होगा कि जब पुर्तगालियों ने इस टापुओं पर राज्य कर रहे हैं तो अंग्रजों ने पुरी भारत पर कब्जा कर रखा था और वे लोग चाहते थे कि यह सात टापुओं पर भी मेरा राज्य हो।
और इसके बाद अंग्रेज़ सरकार ने अपने राजकुमार का इस टापुओं के राजकुमारी से विवाह का प्रस्ताव भेजा।
जो उन्हें मंजुर था और वे इन टापुओं को अंग्रजों के हाथ सौंप दिये, अपने राजकुमारी के लिए जो कि अंग्रेज सरकार चाहती थी।
फिर इंग्लैंड के राजकुमार ने इसे इस्त इंडिया कम्पनी को दे दिया दस पाउंड कम रेट से।
फिर यही शुरू हुई मुंबई शहर का निर्माण।
इस टापु पर सिर्फ एक ही परेशानी होती थी जो थी बिमारियां, जो कि बाद में कम्पनी ने इस पर नियंत्रण करने में सक्षम साबित हूए।
उस समय इस्त इंडिया कम्पनी सुरत शहर में थीं।
फिर साल 1687 में अंग्रेजों ने मुम्बई में सिफ्ट हो गये।
उसके बाद वहां पर जनसंख्या में वृद्धि होने लगी और जमीन कि कमी होने लगी।
तो फिर अंग्रेज़ सरकार ने इन सभी टापुओं को जोड़ने का फैसला लिया और जोड़ दिया।
जिसका मेजर प्रोजेक्ट 1708 में मुमकिन हूआ।
जिसमें माहिम और सिओन को जोड़ा गया, और फिर साल 1772 में महालक्ष्मी और वार्ली को जोड़ा गया।
विलियम हर्नबि का नौकरी तब चलीं गयी जब वह अपना प्रोजेक्ट को जमा करने के बाद टापुओं को जोड़ने में लग जबकि उनका प्रोजेक्ट अप्रोव नहीं हुआ था, और इसके बाद उनका नौकरी चली गई।
इस टापुओं के बीच में पानी का प्रभाव कम था जिसके बाद यहां पर सरकार ने नई जमीन बनाकर जोड़ दिया।
जिसे इंजिनियरिंग के भाषा में लैंड रिक्वरनेश कहा जाता हैं। यहां पर पहाड़ों को समतल बनाया गया और दलदली इलाका को पक्का बनाया गया। इन सभी टापुओं के दरार को ठोस पदार्थ और पत्थरों से भरा गया।
इसके अलावा यहां पर अनेक प्रकार के काम हुऐ, जिस प्रोजेक्ट को HERNBY VELLARD नाम से जाता हैं।
जबकि इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 150 साल से भी ज्यादा समय लगा।
1845 में सातों टापुओं को जोड़ कर मुंबई शहर में तब्दील कर दिया गया।
आज़ मुंबई दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा आर्थिक शहर के रूप में जाना जाता है।
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